Wednesday, April 1, 2020

Encontrar conjugation

The verb ''encontrar'' means 'to find' in Spanish. This lesson will show you how to conjugation ''encontrar'' in the present, preterite, and subjunctive tenses. You will also see several helpful examples of how to use the verb in these tenses.

Thursday, December 12, 2019

उद्देश्य के आधार पर लेखांकन के प्रकार क्या है ?

उद्देश्य के आधार पर लेखांकन के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं :
  • वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) : वित्तीय लेखांकन वह लेखांकन है जिसके अंतर्गत वित्तीय प्रकृति वाले सौदों को लेखाबद्ध किया जाता है। इन्हें सामन्य लेखाकर्म भी कहते हैं और इन लेखों के आधार पर लाभ-हानि या आय विवरण तथा चिट्ठा तैयार किया जाता है।
  • लागत लेखांकन (Cost Accounting) : लागत लेखांकन वित्तीय लेखा पद्धति की सहायक है। लागत लेखांकन किसी वस्तु या सेवा की लागत का व्यवस्थित व वैज्ञानिक विधि से लेखा करने की प्रणाली है। इसके द्वारा वस्तु या सेवा की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत का सही अनुमान लगाया जा सकता है। इसके द्वारा लागत पर नियंत्रण भी किया जाता है। यह उत्पादन, विक्रय एवं वितरण की लागत भी बताता है।
  • प्रबंध लेखांकन (Management Accounting) : यह लेखांकन की आधुनिक कड़ी है। जब कोई लेखा विधि प्रबंध की आवश्यकताओं के लिए आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करती है, तब इसे प्रबंधकीय लेखाविधि कहा जाता है।

लेखांकन के उद्देश्य क्या है ?

लेखांकन के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य है -

  • लेखांकन का प्रथम उद्देश्य सभी व्यावसायिक लेन-देनों का पूर्ण एवं व्यवस्थित रूप से लेखा करना है। सुव्यवस्थित ढंग से लेखा करने से भूल की संभावना नहीं रहती और परिणाम शुद्ध प्राप्त होता है।
  • लेखांकन का दूसरा उद्देश्य एक निश्चित अवधि का लाभ-हानि ज्ञात करना है।
  • लेखांकन का एक उद्देश्य संस्था की वित्तीय स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त करना है।
  • लेखांकन का एक कार्य वित्तीय वाली सूचनाएँ प्रदान करना है जिससे प्रबंधकों को निर्णय लेने में सुविधा हो, साथ ही सही निर्णय लिये जा सकें। इसके लिए वैकल्पिक उपाय भी लेखांकन उपलब्ध कराता है।
  • व्यवसाय में कई पक्षों के हित होते हैं, जैसे कर्मचारी वर्ग, प्रबंधक, लेनदार, विनियोजक आदि। व्यवसाय में हित रखने वाले विभिन्न पक्षों को उनसे संबंधित सूचनाएँ उपलब्ध कराना भी लेखांकन का एक उद्देश्य है।

लेखांकन के कार्य क्या है ?

लेखांकन के छः कार्य निम्नलिखित है :
  1. लेखात्मक कार्य (Recordative Function) :
    लेखांकन का यह आधारभूत कार्य है। इस कार्य के अन्तर्गत व्यवसाय की प्रारम्भिक पुस्तकों में क्रमबद्ध लेखे करना, उनकों उपयुक्त खातों में वर्गीकृत करना अर्थात उनसे खाते तैयार करना और तलपट बनाने के कार्य शामिल हैं।
  2. व्याख्यात्मक कार्य (Interpretative Function) :
    इस कार्य के अंतगर्त लेखांकन सूचनाओं में हित रखने वाले पक्षों के लिए वित्तीय विवरण व प्रतिवेदन का विश्लेषण एवं व्याख्या शामिल है। तृतीय पक्ष एवं प्रबंधकों की दृष्टि से लेखांकन का यह कार्य महत्वपूर्ण माना गया है।
  3. संप्रेषणात्मक कार्य (Communicating Function) :
    लेखांकन को व्यवसाय की भाषा कहा जाता है। जिस प्रकार भाषा का मुख्य उद्देश्य सम्प्रेषण के साधन के रूप में कार्य करना है क्योंकि विचारों की अभिव्यक्ति भाषा ही करती है, ठीक उसी प्रकार लेखांकन व्यवसाय के वित्तीय स्थिति व अन्य सूचनाएँ उन सभी पक्षकारों को प्रदान करता है जिनके लिए ये आवश्यक हैं।
  4. वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना (Meeting Legal Needs) :
    विभिन्न कानूनों जैसे - कम्पनी, अधिनियम, आयकर अधिनियम, बिक्री कर अधिनियम, आदि द्वारा विभिन्न प्रकार के विवरणों को जमा करने पर बल दिया जाता है। जैसे - वार्षिक खाते, आयकर रिर्टन, बिक्रीकर रिर्टन आदि। ये सभी जमा किये जा सकते हैं यदि लेखांकन ठीक से रखा जाए।
  5. व्यवसाय की सम्पत्तियों की रक्षा करना (Protecting Business Assets) :
    लेखांकन का एक महत्वपूर्ण कार्य व्यवसाय की सम्पतियों की रक्षा करना है। यह तभी सम्भव है, जबकि विभिन्न सम्पतियों का उचित लेखा रखा जाये।
  6. निर्णय लेने में सहायता करना (Facilitating Decision Making) :
    लेखांकन महत्वपूर्ण आँकड़े उपलब्ध कराता है जिससे निर्णयन कार्य में सुविधा होती है।

लेखांकन के लाभ क्या है ?

लेखांकन के निम्नलिखित लाभ है :
  • कोई भी व्यक्ति कितना भी योग्य क्यों न हो, सभी बातों को स्मरण (याद) नहीं रख सकता है। व्यापार में प्रतिदिन सैकड़ों लेन-देन होते हैं, वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है। ये नकद और उधार दोनों हो सकते हैं। मजदूरी, वेतन, कमीशन, आदि के रूप में भुगतान होते हैं। इन सभी को याद रखना कठिन है। लेखांकन इस आभाव को दूर कर देता है।
  • लेखांकन से व्यवसाय से संबंधित कई महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं जैसे :
    लाभ-हानि की जानकारी होना।
    सम्पत्ति तथा दायित्व की जानकारी होना ।
    कितना रुपया लेना है और कितना रुपया देना है ।
    व्यवसाय की आर्थिक स्थिति कैसी है, आदि।
  • अन्य व्यापारियों से झगड़ें होने की स्थिति में लेखांकन अभिलेखों को न्यायालय में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। न्यायालय प्रस्तुत किये लेखांकन को मान्यता प्रदान करता है।
  • वित्तीय लेखा से कर्मचारियों के वेतन, बोनस, भत्ते, आदि से संबंधित समस्याओं के निर्धारण में मदद मिलती है।

Thursday, November 7, 2019

लेखांकन की विशेषताएँ

लेखांकन की निम्नलिखित विशेषताएँ है :
  • लेखांकन व्यवसायिक सौदों के लिखने और वर्गीकृत करने की कला है ।
  • विश्लेषण एवं निर्वचन की सूचना उन व्यक्तियों को सम्प्रेषित की जानी चाहिए जिन्हें इनके आधार पर निष्कर्ष या परिणाम निकालने हैं या निर्णय लेने हैं।
  • यह सारांश लिखने, विश्लेषण और निर्वचन करने की कला है।
  • सौदे मुद्रा में व्यक्त किये जाते हैं।
  • ये लेन-देन पूर्ण या आंशिक रूप से वित्तीय प्रकृति के होते हैं ।

Tuesday, November 5, 2019

लेखांकन क्या है ?

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को  लेखांकन (Accounting) कहा जाता है
किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है
सरल शब्दों में लेखांकन का आशय वित्तीय लेन देनों को क्रमबद्व रूप में लेखाबद्व करने, उनका वर्गीकरण करने, सारांश तैयार करने एवं उनको इस प्रकार प्रस्तुत करने से है, जिससे उनका विश्लेषण निर्वचन हो सके। लेखांकन में सारांश का अर्थ तलपट बनाने से है और विश्लेषण निर्वचन का आधार अन्तिम खाते होते है, जिनके अन्र्तगत व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा चिटटा/स्थिति विवरण या तुलन पत्र तैयार किये जाते है।

उदाहरण

किसी व्यवसाय में बहुत बार वस्तु खरीदा जाता है, बहुत बार विक्री होता है खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होता रहता है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने वही में घटित घटनाओं को लिखता रहता है यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है


Saturday, November 2, 2019

Golden Rules Of Accounting क्या है ?


1.  व्यक्तिगत लेखा(Personal Account)
व्यक्ति एवं संस्था से सम्बंधित लेखा को व्यक्तिगत लेखा कहते है जैसे मोहन का लेख, शंकर वस्त्रालय का लेखा व्यक्तिगत लेखा हुआ
व्यक्तिगत लेखा का नियम (Rule of Personal Account)
पाने वाले को नाम (Debit The Receiver)
देने वाले को जमा (Credit The Giver)
स्पष्टीकरण :
जो व्यक्ति कुछ प्राप्त करते हैं उन्हें Receiver कहा जाता है और उन्हें Debit में रखा जाता है जो व्यक्ति कुछ देते है, उन्हें Giver कहा जाता है और उन्हें Credit में रखा जाता है।
उदाहरण :
मोहन को 1000 रुपया दिया गया, मोहन 1000 रुपया ले रहा है वह Receiver हुआ इसलिए उन्हें Debit में रखा जायेगा
सोहन से 1000 रुपया प्राप्त हुआ सोहन 1000 रुपया देय रहा है वह Giver हुआ इसलिए उन्हें Credit किया जायेगा
2.  वास्तविक लेखा (Real Account)
वस्तु एवं सम्पति से संबंधित लेखा को वास्तविक लेखा कहतें है जैसे रोकड़ का लेखा, साईकिल का लेखा वास्तविक लेखा हुआ ।।av
वास्तविक लेखा का नियम (Rule of Real Account)
जो आवे उसे नाम (Debit what comes in )
जो जावे उसे जमा (Credit What goes out)
स्पष्टीकरण :
व्यवसाय में जो वस्तुएँ आती है उसे Debit में रखा जाता है और व्यवसाय से जो वस्तुएँ जाती है उसे Credit में रखा जाता है
उदाहरण :
मोहन से 1000 रुपये प्राप्त हुआ एक 1000 रुपया रही है इसलिए उसे Debit में रखा जाता है
सोहन के हाथ घड़ी बेची गया घड़ी जा रहा है इसलिए उसे Credit में रखा जायेगा
3.  अवास्तविक लेखा (Nominal Account)
खर्च एवं आमदनी से सम्बन्धित लेखा को अवास्तविक लेखा कहा जाता है जैसे किराया का लेखा, ब्याज का लेखा अवास्तविक लेखा हुआ
अवास्तविक लेखा का नियम (Rule of Nominal Account)
सभी खर्च एवं हानियों को नाम (Debit all expenses and losses)
सभी आमदनी एवं लाभों को जमा (Credit all incomes and gains)


Encontrar conjugation

The verb ''encontrar'' means 'to find' in Spanish. This lesson will show you how to conjugation ''encontra...